Monday, June 2, 2008

नया utsaah




रोज़ के कठिन और व्यस्त जीवन मैं नया उत्साह भरने के लिए दो दिन घर से बाहर एक सुंदर जगह बिताये जहाँ पर सुबह सुबह जल्दी जल्दी तईयार होकर काम पर नही जाना था ,न ही रुके हुए ट्रैफिक से जूझना था.एक दिन बार बार घड़ी नही देखी ,कोई जल्दी नही थी कहीं भी पहुँचने की.सुंदर सूर्योदय और सूर्यास्त के द्रश्य सेखकर मन को बहुत शांति मिली। और फिर मैं तयार हो गई फिर से आने वाले हफ्ते का सामना करने के लिए.

1 comment:

Suresh Gupta said...

मैं अब रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा हूँ. अपनी मेनेजमेंट कंसल्टेंसी फर्म का काम करता हूँ. सुबह जल्दी उठ कर प्राणायाम करना, पार्क में सैर करने जाना पूरे दिन के लिए जरूरी उर्जा प्रदान कर देता है.